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रविवार, 21 जून 2020

लकड़हारा और व्यापारी



लकड़हारा और व्यापारी 


लकड़हारा और व्यापारी
लकड़हारा और व्यापारी 




एक गाँव में एक गरीब लड़का रहता था जिसका नाम मोहन था मोहन बहुत मेहनती था लेकिन थोड़ा कम पढ़ा लिखा होने की वजह से उसे नौकरी नहीं मिल पा रही थी ऐसे ही एक दिन भटकता भटकता एक लकड़ी के व्यापारी के पास पहुँचा उस व्यापारी ने लड़के की दशा देखकर उसे जंगल से पेड़ कटाने का काम दिया

मोहन अब एक लकड़हारा बन गया था| नयी नौकरी से मोहन बहुत उत्साहित था , वह जंगल गया और पहले ही दिन 18 पेड़ काट डाले। व्यापारी ने भी मोहन को शाबाशी दी , शाबाशी सुनकर मोहन और गदगद हो गया और अगले दिन और ज्यादा मेहनत से काम किया लेकिन ये क्या ? वह केवल 15 पेड़ ही काट पाया व्यापारी ने कहाकोई बात नहीं मेहनत करते रहो


तीसरे दिन उसने और ज्यादा जोर लगाया लेकिन केवल 10 पेड़ ही ला सका अब मोहन बड़ा दुखी हुआ लेकिन वह खुद नहीं समझ पा रहा था क्योकि वह रोज पहले से ज्यादा काम करता लेकिन पेड़ कम काट पाता हारकर उसने व्यापारी से ही पूछामैं सारे दिन मेहनत से काम करता हूँ लेकिन फिर भी क्यों पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है व्यापारी ने पूछातुमने अपनी कुल्हाड़ी को धार कब लगायी थी  

मोहन बोलाधार ? मेरे पास तो धार लगाने का समय ही नहीं बचता मैं तो सारे दिन पेड़ कटाने में व्यस्त रहता हूँ व्यापारीबस इसीलिए तुम्हारी पेड़ों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है


मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है , हम रोज सुबह नौकरी पेशा करने जाते हैं , खूब काम करते हैं पर हम अपनी कुल्हाड़ी रूपी कौशल को सुधार नहीं करते हैं हम जिंदगी जीने में इतने ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि अपने शरीर को भी कुल्हाड़ी की तरह धार नहीं दे पाते और फलस्वरूप हम दुखी रहते हैं


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