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बुधवार, 26 अगस्त 2020

हिंदी लेखक परिचय - भाग प्रथम


हिंदी लेखक परिचय - भाग प्रथम 


शिवपूजन सहाय 

शिवपूजन सहाय का जन्म 1893 में गांव उनवास, जिला भोजपुर (बिहार ) में हुआ था। उनके बचपन का नाम भोलानाथ था। दसवीं की परीक्षा पास करने के पश्चात उन्होंने बनारस की अदालत में नकलनवीस की नौकरी की। बाद में वे हिंदी के अध्यापक बन गए।  असहयोग आंदोलन के प्रभाव से उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।  शिवपूजन सहाय अपने समय के लेखकों में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे।  उन्होंने जागरण, हिमालय, माधुरी तथा बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही वे हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका मतवाला के संपादक मंडल में थे। 1963 में उनका देहांत हो गया।  वे मुख्यत: गद्य के लेखक थे।  देहाती दुनिया, ग्राम सुधर, वे दिन वे लोग, स्मृतिशेष आदि दर्जनों कृतियाँ उनकी प्रकाशित हुई।  शिवपूजन रचनावली के चार खंडो में उनकी सम्पूर्ण रचनाये प्रकाशित है। उनकी रचनाओं में लोकजीवन और लोकसंस्कृति के प्रसंग सहज ही मिल जाते है।


कमलेश्वर 

कमलेश्वर का जन्म 1932 में मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) में हुआ।  इलाहबाद विश्वविधालय से उन्होंने एम. ए. किया।  दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर कार्य करने वाले कमलेश्वर ने कई पात्र पत्रिकाओं का संपादन भी किया जिनमे सारिका, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर प्रमुख है।  साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत कमलेश्वर को भारत सरकार ने पदम् भूषण से भी सम्मानित किया। 27 जनवरी 2007 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। नई कहानी आंदोलन के अगुआ रहे कमलेश्वर की प्रमुख रचनाये - खोई हुई दिशाए, सोलह छतो वाला घर, जिन्दा मुर्दे, आगामी अतीत, डाक बंगला, काली आंधी और कितने पाकिस्तान रही थी। उन्होंने यात्रा वृतांत, आत्मकथा और संस्मरण भी लिखे है। कमलेश्वर ने अनेक हिंदी फिल्मो और टीवी धारावाहिको की पटकथा भी लिखी है।  कमलेश्वर की रचनाओं में तेजी से बदलते समाज का बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील चित्रण है। आज की महानगरीय सभ्यता में मनुष्य के अकेले हो जाने की व्यथा को उन्होंने बखूबी समझा और व्यक्त किया है।  

मधु कांकरिया 

मधु कांकरिया का जन्म 1957 में कोलकाता में हुआ।  उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में MA किया। साथ ही कम्प्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा भी किया।  उनकी प्रमुख रचनाये - पत्ताखोर, सलाम आखिरी, खुले गगन के लाल सितारे, बीतते हुए।  उन्होंने कई सुन्दर यात्रा वृतांत भी लिखे है। मधु जी की रचनाओं में विचार और संवेदना की नवीनता मिली है। समाज में व्याप्त अनेक ज्वलंत समस्याएं जैसे महानगर की घुटन और असुरक्षा के बीच युवाओ में बढ़ती नशे की आदत, लालबत्ती इलाको की पीड़ा आदि उनकी रचनाओं के विषय रहे है।  

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