हिंदी लेखक परिचय - भाग द्वितीय
शिवप्रसाद मिश्र 'रूद्र'
शिवप्रसाद मिश्र 'रूद्र' का जन्म वर्ष 1911 में कशी में हुआ था। उनकी शिक्षा कशी के हरिश्चंद कॉलेज, क्वींस कॉलेज तथा कशी हिन्दू विश्वविधालय से हुई। रूद्र जी ने स्कूल तथा कॉलेज में अध्यापन कार्य किया और कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया। बहुभाषाविद रूद्र जी एक साथ ही उपन्यासकार, नाटककार, गीतकार, व्यंग्यकार, पत्रकार और चित्रकार थे। उनकी प्रमुख रचनाये - बहती गंगा, ताल तलैया, गजलीका, परीक्षा पचीसी थी जो की गीत और व्यंगय गीत संग्रह के रूप में है। उनकी अनेक सम्पादित रचनाये काशी नागरी प्रचारणी सभा द्वारा प्रकाशित हुए है। वे सभा के प्रधानमंत्री पद पर भी रहे है। वर्ष 1970 में उनका देहांत हो गया। रूद्र जी अपनी जन्मभूमि काशी के प्रति आजीवन निष्ठावान रहे और उनकी यही निष्ठां उनके साहित्य में भी व्यक्त हुई है, विशेषकर उनकी अनुपम कृति बहती गंगा में। बहती गंगा को कुछ विद्वान् उपन्यास भी मानते है तो कुछ उसे कहानी संग्रह भी मानते है।
अज्ञेय
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जन्म वर्ष 1911 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कसिया (कुशीनगर) इलाके में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा जम्मू कश्मीर में हुई और b.sc लाहौर से की। क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण अज्ञेय को जेल भी जाना पड़ा। साहित्य और पत्रकारिता को पूर्णतः समर्पित अज्ञेय ने देश विदेश की अनेक यात्राएं की। उन्होंने कई नौकरिया की और छोड़ी। आजादी के बाद की हिंदी कविता पर अज्ञेय का व्यापक प्रभाव है कविता के आलावा उन्होंने कहानी, उपन्यास, यात्रा वृतांत, निबंध तथा आलोचना आदि अनेक विधाओं में भी लेखन किया है। उनकी प्रमुख रचनाये है - भग्नदूत, चिंता, अरी ओ करुणा प्रभामय , आँगन के पार द्वार, शेखर : एक जीवनी, शरणार्थी आदि अज्ञेय द्वारा सम्पादित थी। इनके द्वारा सम्पादित तार सप्तक सहित चार सप्तकों का समकालीन हिंदी कविता के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। साहित्य अकादमी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अज्ञेय को अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी पुरस्कृत किया गया है। 1987 में उनका देहावसान हो गया। बौद्धिकता की छाप अज्ञेय के सम्पूर्ण लेखन में मिलती है। उनके लेखन में मूल में वैयक्तिता की पहचान की समस्या है।
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